Maiya Samman Yojana Scam: झारखंड में फर्जी दस्तावेज़ों से लूटी सरकारी मदद, 172 महिलाओं पर केस

Written by: Nitin

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Maiya Samman Yojana Scam: हम सभी चाहते हैं कि सरकार की योजनाएं सच में गरीबों और जरूरतमंदों की जिंदगी में बदलाव लाएं, उनकी मदद करें और उनके सपनों को पूरा करें। लेकिन जब किसी योजना का उद्देश्य ही ठहरता है धोखाधड़ी और बेईमानी का शिकार, तो वह न केवल उस योजना की छवि खराब करता है, बल्कि पूरे समाज के विश्वास को भी हिला देता है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह इलाके में मंईयां सम्मान योजना के साथ जो हुआ, वह इंसानियत के लिए शर्मनाक है और सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर हम कहां जा रहे हैं।

फर्जी दस्तावेजों के सहारे निकाली गई सरकारी राशि

Maiya Samman Yojana Scam

 

मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत ही गरीब महिलाओं को आर्थिक मदद देने और उनकी हालत सुधारने के लिए की गई थी। लेकिन जांच में सामने आया कि बिहार और पश्चिम बंगाल की कुल 172 मुस्लिम महिलाओं ने झूठे दस्तावेजों के सहारे इस योजना का लाभ उठाया। यह बात और भी हैरान करने वाली है कि गालूडीह के आठ गांवों में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, फिर भी 172 मुस्लिम महिलाओं के नाम योजना के लाभार्थी सूची में दर्ज थे। यह सब कैसे संभव हुआ, इसका जवाब प्रशासन और पंचायत स्तर की भारी लापरवाही में छिपा है।

पंचायत और प्रखंड स्तर की लापरवाही से खुला घोटाला

फर्जी राशन कार्ड नंबर, आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर के साथ दस्तावेज बनाए गए और बिना किसी जांच-पड़ताल के इन महिलाओं के खातों में करीब 9 लाख 57 हजार रुपये की पहली किस्त भेज दी गई। यह मामला पंचायत सचिव की शिकायत पर गालूडीह थाना में दर्ज प्राथमिकी तक पहुंचा, जिससे साफ है कि स्थानीय प्रशासन की निगरानी कितनी कमजोर रही। इस फर्जीवाड़े ने सिर्फ सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया ही नहीं, बल्कि उन असली जरूरतमंदों का हक मार लिया, जिनके लिए यह योजना बनी थी।

राजनीतिक दलों और मीडिया की सजगता से हुआ खुलासा

राजनीतिक दलों और मीडिया की सजगता ने इस घोटाले को उजागर किया। भाजपा और झामुमो नेताओं ने इस मामले पर चिंता जताई और निष्पक्ष जांच की मांग की। साथ ही, दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई की। जिले के उपायुक्त के आदेश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज कर कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। यह कदम सराहनीय है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि चुनाव के समय जल्दबाजी में लागू की गई योजनाओं में इस तरह की गड़बड़ियां आम हैं।

चुनावी जल्दबाजी ने खोली योजनाओं की कमज़ोरियाँ

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह दिखाया कि सरकारी योजनाओं की सफलता केवल योजना बनाने पर निर्भर नहीं करती, बल्कि ईमानदारी, पारदर्शिता और कड़ाई से निगरानी पर भी निर्भर करती है। जब तक हम सभी, सरकार और समाज मिलकर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के खिलाफ सजग नहीं होंगे, तब तक जरूरतमंदों का अधिकार छिनता रहेगा।

Maiya Samman Yojana: ईमानदारी और पारदर्शिता ही असली रास्ता

मंईयां सम्मान योजना का मकसद गरीब महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना था, लेकिन कुछ लोगों की बेईमानी ने इस नेक मकसद को धक्का दिया। हमें समझना होगा कि सरकारी धन का दुरुपयोग केवल आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि लाखों जरूरतमंदों के सपनों पर ठेस पहुंचाने जैसा है। ऐसे घोटालों को रोकने के लिए हर स्तर पर कड़ी निगरानी और पारदर्शिता जरूरी है।

समाज और प्रशासन दोनों को रहना होगा सतर्क

Maiya Samman Yojana Scam

 

इस घटना से हम सबको एक सबक लेना चाहिए कि योजनाओं का सही लाभ तभी पहुंच सकता है जब समाज और प्रशासन दोनों मिलकर ईमानदारी से काम करें। हमें अपने आस-पास की गलतियों पर नजर रखनी होगी और हमेशा सच का समर्थन करना होगा।

डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों और रिपोर्टों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई सभी जानकारियां केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए हैं। किसी भी आधिकारिक कार्रवाई या निर्णय से पहले संबंधित विभाग या सरकारी वेबसाइट से पुष्टि अवश्य करें। लेखक और प्रकाशक किसी भी अनजाने त्रुटि या नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

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